इसके लिए सर्वप्रथम चिंतन करे ,इस मामले में चिंतन का कुछ और ही मतलब है ,आपको करना यु हे की आप जिस शेत्र मैं रूचि रखते हो जैसे कविताए तो आप कविताए पदिये या सुनिए उस्की घेराइयो को समझिए और चिंतन कीजिए ,जब आपके मन से उसके लिए सहराना निकलेगी तब आप कला को समझ सकेंगे ।
इसका एक और तरीका है की आप कला को भी भगवन समझिये और ये सोचिये की यह सब मैं है और जब आप को एहसास होगा की हर वास्तु मैं सुन्दरता है और वह किसी सफ़ेद कागज पे तस्वीर या सुन्दर मन मोह्नेवाले सब्द बनके उतरेंगे तब आप सच्चे कलाकार बन जायेंगे ।
चलिए मैं आपको एक कहानी सुनाता हूँ ,एक बार एक शिष्य अपने गुरु के पास गया उस वक़्त उसके गुरु चित्र बना रहे थे ।शिष्य यह देखकर गुरु से पूछता है की आप यह किसका चित्र बना रहे है गुरुजी, तब गुरु ने कहा -"मैं तो आपनी कुटिया का चित्र बना रहा हूँ "
शिष्य -"पर आप इस सादी सी कुटिया का चित्र क्यों बना रहे हैं "
शिष्य -"पर आप इस सादी सी कुटिया का चित्र क्यों बना रहे हैं "
गुरु -"क्योकि मुझे यह कुटिया स्वर्ग से भी ज्यादा सुन्दर लगती है "
शिष्य -"पर मुझे इसमें कुछ भी खास नजर नहीं आ रहा हैं "
गुरु -"क्योकि तुम्हारा नजरिया मेरे नज़रिए से अलग हैं ,तुम इससे अपनी आखो से देखते हो और मैं अपनी मन की आखो से जिससे मुझे यह अत्यंत सुन्दर नजर आता है इसीलिए अपने देखने का नजरिया बदलो ।
यह होता है कला देखने का नजरिया अगर आपको यह मिल जाये तो आपको इस दुनिया मैं हर वास्तु सुन्दर नज़र आयेंगी और आप अपने आपको उसकी प्रशंसा करने से रोक नहीं सकेंगे ।
यह होता है कला देखने का नजरिया अगर आपको यह मिल जाये तो आपको इस दुनिया मैं हर वास्तु सुन्दर नज़र आयेंगी और आप अपने आपको उसकी प्रशंसा करने से रोक नहीं सकेंगे ।